खेती-किसानी की आड़ में पर्यावरण को नुकसान वालों पर शिकंजा कसेगा जिला प्रशासन
अनंत न्यूज़ @ गुना। फसल कटाई के बाद खेतों में उनके अवशेष (नरवाई/पराली) को जलाने से होने वाले भयंकर वायु प्रदूषण और आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए गुना जिला प्रशासन सख्त हो गया है। कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने पर्यावरण विभाग मंत्रालया द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल एक समिति का गठन कर दिया है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि अब गुना जिले में पराली जलाने वाले किसानों पर प्रशासन की पैनी नजर रहेगी और उल्लंघन करने पर भारी-भरकम पर्यावरण मुआवजा देना होगा।
जिला प्रशासन ने खेती-किसानी की आड़ में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी शुरु कर दी है। दरअसल, पर्यावरण विभाग ने एक्ट के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए गेहूं, धान और मक्का के अवशेषों को खेतों में अंधाधुंध तरीके से जलाए जाने को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है। यह प्रतिबंध आमजन के स्वास्थ्य, उनकी जान-माल की सुरक्षा और भूमि की उर्वरक शक्ति को बचाए रखने के लिए लगाया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर यदि कोई व्यक्ति या संस्था फसल अवशेष जलाते हुए पाया जाता है, तो उसे पर्यावरण मुआवजा अदा करना होगा।
यह लगेगा जुर्माना
जिला प्रशासन ने एनजीटी और पर्यावरण मंत्रालय के आदेश का हवाला देते हुए बताया है कि अगर कोई किसान या भूमि स्वामी नरवाई अथवा पराली जलाता है तो जुर्माना भुगतना होगा। यह राशि 02 एकड़ या उससे कम भूमि पर 2500 रुपए प्रति घटना, इससे अधिक लेकिन 5 एकड़ से कम भूमि पर 5 हजार रुपए प्रति घटना और 5 एकड़ से ज्यादा पर 15 हजार रुपए प्रति घटना के हिसाब से भुगतना पड़ेगा। कलेक्टर कन्याल ने समस्त उपखण्ड मजिस्ट्रेट को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि उनके कार्य क्षेत्र अंतर्गत यदि कोई किसान निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो तत्काल पर्यावरण मुआवजा अधिरोपित किया जाए।
️ निगरानी के लिए गठित हुई समिति
कलेक्टर द्वारा जारी आदेशानुसार, जिले में इस प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने और निगरानी रखने के लिए एक बहु-विभागीय समिति का गठन किया गया है। एसडीएम, जनपद पंचायत के सीईओ, कृषि विभाग के एसडीओ, संबंधित तहसीलदार, संबंधित विकासखंड के लिए वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, सीएमओ अथवा जोनल अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शामिल किए गए हैं।
जागरूकता और वैकल्पिक उपायों पर जोर
प्रशासन ने केवल दंडात्मक कार्रवाई तक ही सीमित न रहते हुए जागरूकता फैलाने पर भी जोर दिया है। कलेक्टर ने आदेश में स्पष्ट किया है कि पराली जलाने पर रोक हेतु अधीनस्थ अमले द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। साथ ही, किसानों को नरवाई जलाने के बजाय उसका भूसा बनाकर पशु चारे के रूप में या अन्य कृषि उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। गुना प्रशासन का यह कदम शहर और जिले की हवा को दूषित होने से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, क्योंकि अक्सर कुछ किसान अपने निजी फायदे (खेत जल्दी साफ करने) के लिए पराली जलाकर पूरे वातावरण को दूषित कर देते हैं। प्रशासन की अब ऐसे किसानों पर पैनी और सतत नजर रहेगी।
